मैं हैरान हूँ रोज़ रंग बदलती दुनिया को देख कर, पर बदलाव ही तो प्रकृति का नियम है, इसमें कुछ नया नहीं है ,फिर भी ये चुबता सा क्यूँ है !!
ऐसा नही है,कि मैं तटस्थ हूँ अपनी सोच मे, मैं भी बदलाव पसंद हूँ , कुछ नया सीखने के लिए, मैं भी बदली हूँ , कुछ थोड़ी थोड़ी, नए जमाने के साथ चलने के लिए !!
पर मैंने हावी नहीं होने दिया है, नए ज़माने के नियमों को खुद पे, मैंने अपने नैतिक और मूल्यो को भेंट नही चढ़ाया है, खुद को आधुनिक घोषित करने के लिए !!
मैंने सीखा है प्रकृति से, कि बदलाव जरूरी है नए रूप मे निखरने के लिए, पर सवरूप वही रहे और हम जुड़े रहे अपनी जड़ों से , बहुत ज़रूरी है मज़बूती से आगे बढ़ने के लिए !!
@Maya
👌👌
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😘🤗🤗
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वाह सुन्दर लेख🌿
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आभार 🙏
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Ya ! that’s True
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❤
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